कुरुक्षेत्र,(अजय कुमार) : BPR College Kurukshetra की एनएसएस स्वयंसेवकों द्वारा ‘आजादी का अमृत महोत्सव‘ के अंतर्गत एक अवेयरनेस कैंपेन शुरू किया गया था जिसका शीर्षक था ‘मांझा को ना‘। बता दें कि इस कैंपेन की शुरुआत 30 दिसंबर से शुरू हुई और 12 जनवरी यानी आज के दिन समाप्त हुआ। इस गतिविधि का मकसद लोगों को चाइनीज मांझा से होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराना था।
चाइनीज मांझा क्या है
मांझा एक तरह की ग्लास पाउडर से कोटेड डोर होती है जिसका उपयोग पतंगों को उड़ाने के लिए किया जाता है। ग्लास पाउडर से कोटेड होने के कारण यह बहुत ही नुकसानदायक सिद्ध होती है।
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हर साल चाइनीज मांझा का उपयोग पतंगबाजी के लिए बड़ी संख्या में लोगों के द्वारा किया जाता है जिसके कारण पक्षियों और आम लोगों को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
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यह एक गंभीर विषय है, जिसके बारे में लोगों में अभी ज्यादा जागृति नहीं आई है। इसी को ध्यान में रखते हुए NSS इकाइयों द्वारा ‘मांझा को ना’ कैंपेन जनवरी में (जब Makar Sankranti के अवसर पर पतंगबाजी लार्ज स्केल पर की जाती है) शुरू करने का विचार किया गया।
ऐसे कार्यक्रमों में भाग लेने से पैदा होती है सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना : कॉलेज प्राचार्य प्रो. शीशपाल
भगवान परशुराम कॉलेज के प्राचार्य प्रो. शीशपाल ने इस तरह के कार्यक्रम में छात्रों से बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने और अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए छात्रों का आह्वान किया।
प्रोग्राम ऑफिसर प्रोफेसर अनिल कौशिक और प्रोफेसर वासवदत्ता ने बताया की NSS Volunteers ने अपने आसपास के एरिया में जाकर बच्चों को और बड़ों को इस विषय के बारे में समझाया और उन्हें चाइनीज मांझा को ना प्रयोग में लाने के फायदों से अवगत करवाया।
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स्वयंसेवकों ने इस गतिविधि का निर्वाहन बड़ी जिम्मेदारी से किया और अपनी पढ़ाई का हरजस बिल्कुल भी नहीं होने दिया। इस तरह की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर और जोर शोर से हिस्सा लेकर स्वयंसेवकों ने इस बात को सिद्ध कर दिया की आज के नौजवान बहुत ही अच्छे ढंग से यह बात समझते हैं कि किस तरह से वे समाज को और बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं।
“मांझा को ना” कैंपेन में NSS के इन स्वयंसेवकों ने लिया भाग
इस गतिविधि में पंकज, अनीश, मनोज, जतिन, मुस्कान कश्यप, रितिक, परमवीर, मनोज कश्यप, गुरप्रीत, परवीन, गौरव, पेप्सी, प्रिया, मनीषा, अंकुश, मोहित कश्यप आदि विद्यार्थियों ने उल्लेखनीय और सराहनीय काम किया है।