आज यानी 14 फरवरी को Vasant Panchami बनाई जा रही है औज आज के दिन ही Valentine’s day मनाया जा रहा है। इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन हो गया है।
इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में माता सरस्वती की पूजा की जाती है। माता सरस्वती की पूजा करना विद्यार्थियों के लिए अच्छी मानी जाती है। देश में इस त्यौहार को धूम- धाम से मनाया जाता है।
पंजाब की अगर बात करें तो इस दिन लोग पतंगबाजी भी करते हैं। यदि आप भी पढ़ रहे है या फिर संगीत कला में काम कर रहे हैं तो आज का दिन बेहद खास है।
इस दिन का लिंक हमारे शहीद वीर हकीकत राय के साथ भी जुड़ा हुआ है जो हंसते -हंसते अपने धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के आगे नहीं झूके और फांसी चढ़ गए। जिनकी वजह से आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं।
Vasant Panchami से लेकर गंगा दशहरा तक संत करेंगे धुना तपस्या
जहां एक तरफ देश में Basanat Panchami का पर्व मनाया जा रहा है। वहीं बिहार के प्रयागराज के माघ मेले में 500 के करीब तपस्वी संत धुना तपस्या बसंत पंचमी से शुरू कर रहे हैं जो गंगा दशहरा तक चलेगी।
इस तपस्या में सभी उम्र के संत भाग लेते है कोई सात दिन तो कोई 21 या 90 दिन भाग लेता है।
इस तपस्या में संत अपनी गुरु की देखरेख में धूना तपस्या करते हैं। इस तपस्या की कुछ रहस्मय पूजा भी होती है जो संत किसी से नहीं बताते हैं।
ऐसा माना जाता है कि अगर किसी कारणवश यह तपस्या भंग हो जाती है तो अगले साल दोबारा संकल्प लेकर फिर से शुरू की जाती हैं।
इस धुना तपस्या को देखने के लिए लोग दूर- दूर से आते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस तपस्या से संतों में तेज शक्ति उजागर होती है एवं समाज के कल्याण के लिए शुभ मानी जाती है।
धुना तपस्या प्राचीन परंपरा का अंग
महामंडलेश्वर रामसंतोष दास महाराज से बताया कि धुना तपस्या प्राचीन परंपरा एक एक अहम हिस्सा है जिसे पहले भी संतों द्वारा की जाती थी और इसी का निर्वहन करते हुए अभी भी यह परंपरा चल रही है। उन्होंने बताया कि मेरी उम्र अब 70 के आस-पास हो चुकी है लेकिन अभी भी मैं इस तपस्या में भाग लेता हूं।
धुना तपस्या दिन में कम से कम आठ घंटे जरूरी
धुना तपस्या संतों द्वारा आज से शुरू हो चुकी है जो गंगा दशहरा तक चलेगी। इस तपस्या में 500 के करीब संत भाग ले रहे हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक पता चला कि यह तपस्या कम से कम दिन में आठ घंटे की जाती है भले ही इस समय बारिश, धूप ही क्यों ना हो।
स्वामी गोपाल महाराज ने बताया कि यदि किसी की तबीयत खराब है या किसी प्रकार की कोई समस्या है तो वह अपनी सुविधानुसार तपस्या कर सकता है लेकिन धुना तपस्या सभी संतों को करनी आवश्यक होती है।
वीर Hakikat rai का बसंत पंचमी से गहरा नाता
आज जहां देश में धूमधाम से बसंत पंचमी मनाई जा रही है वहीं इस त्यौहार का नाता चौदह वर्षीय वीर हकीकत राय से भी गहरा नाता है जो हंसते हंसते शहीद हो गए थे। एवं मुगलों के आगे नहीं झुके थे। वीर हकीकत राय का जन्म पंजाब के सियालकोट में हुआ था।
चौदह वर्ष की आयु में ही वीर हकीकत राय अपने हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे। आज भी इनके गांव में इनके शहीदी दिवस को धूम-धाम से मनाया जाता है।
जिसमें सभी धर्मों के लोग भाग लेते हैं। आज के दिन ही Pulwama में हमारे 44 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए थे। इस दिन हमें अपने शहीदों को भी याद करना चाहिए।