हरियाणा सरकार ने सितंबर 2025 में दीनदयाल लाडो लक्ष्मी योजना की शुरुआत की है। इस योजना का मकसद है राज्य की ऐसी महिलाओं को स्थायी आर्थिक सहारा देना, जिन्हें पारिवारिक परिस्थितियों, सामाजिक रुकावटों और कम आय की वजह से आत्म-निर्भरता के रास्ते पर चलने में मुश्किल होती है।

हरियाणा में महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पुरानी है; खेती-बाड़ी, घरेलू काम, पारिवारिक जिम्मेदारियाँ अक्सर महिलाओं को बाहरी आर्थिक अवसरों से दूर रखें। सरकारी योजनाएँ अनेक रही हैं, लेकिन कई बार लाभार्थी-चयन, आवेदन प्रक्रिया या लाभ की निरंतरता में समस्याएँ आई हैं।
बीजेपी ने 2024 के विधानसभा चुनावों से पहले घोषणापत्र में लाडो लक्ष्मी योजना का वादा किया था। इसे महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक सुरक्षा और बिहार-जैसी योजनाओं की तरह घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सहायता के रूप में पेश किया गया था।
बजट:- राज्य सरकार ने इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2025-26 में ₹5,000 करोड़ का बजट आरक्षित किया है। इस राशि का लक्ष्य है हर महीने लाभार्थियों को धन भेजना, आवेदनों की प्रक्रिया सुचारु रखना, वेरिफिकेशन और शिकायत-निवारण व्यवस्था को मज़बूत बनाना।
लाडो लक्ष्मी योजना: मुख्य विशेषताएँ
मासिक आर्थिक सहायता प्रत्येक पात्र महिला को ₹2,100 प्रति माह प्रदान किया जाएगा।
लॉन्च तिथि:- 25 सितंबर 2025 से आवेदन शुरू होंगे। पहली किस्त की भुगतान तिथि 1 नवंबर 2025 से शुरू होने की पुष्टि की गई है। लाभार्थियों की संख्या अनुमानित शुरुआत में लगभग 22 लाख महिलाओं को लाभ पहुँचाया जाने की योजना है।
स्थानांतरण का तरीका DBT (Direct Benefit Transfer) — राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा होगी।

पात्रता मानदंड
योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सहायता वास्तव में ज़रूरतमंद महिलाओं तक पहुंचे। इसलिए सरकार ने कुछ पात्रता मापदंड तय किए हैं:
महिला आवेदक को हरियाणा की स्थायी निवासी होना चाहिए। कुछ रिपोर्टें बताती हैं कि माहिला या उसका परिवार कम-से-कम 15 वर्ष से हरियाणा में निवास करता हो।
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उम्र सीमा
आवेदन के लिए न्यूनतम आयु तय है 23 वर्ष। अधिकतम उम्र की कोई स्पष्ट सार्वजनिक सीमा 60 वर्ष बताई जा रही है।
आय सीमा
पूरे परिवार की वार्षिक आय ₹1,00,000 (एक लाख रूपये) से अधिक नहीं होनी चाहिए, जैसा कि सरकारी और मीडिया स्रोतों में बताया गया है।
अन्य सीमाएँ
किसी अन्य सरकारी पेंशन या ऐसी नियमित मासिक सहायता प्राप्त न कर रही हो। सरकारी योजनाबैंक खाता लाभार्थी के नाम पर हो और नामांकन व विवरणों में कोई गड़बड़ी न हो।
दस्तावेज़ आवश्यकताएँ:-
परिवार पहचान पत्र, आय प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, आवास प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक/बैंक खाता विवरण, पासपोर्ट साइज फोटो आदि।
आवेदन प्रक्रिया
योजना की सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि आवेदन प्रक्रिया आसान हो। इस दिशा में तय प्रक्रियाएँ इस प्रकार हैं:
मोबाइल ऐप लॉन्च:-एक विशेष Lado Lakshmi मोबाइल ऐप तैयार किया गया है। आवेदनकर्ता इस ऐप के ज़रिए आवेदन कर सकती हैं।
ऑनलाइन पंजीकरण:-आवेदन करने के लिए मोबाइल ऐप पर निम्न जानकारी और दस्तावेज़ों की ज़रूरत पड़ेगी:आधार कार्ड नंबर,निवास प्रमाण पत्र,आय प्रमाण पत्र,बैंक खाता विवरण,अन्य पहचान पत्र आदि।
वेरिफिकेशन
आवेदन के बाद राज्य सरकार या संबंधित विभाग (जैसे Citizen Resources Information Department — CRID) द्वारा वेरिफिकेशन की प्रक्रिया होगी। पुनः पुष्टि की गई है कि राशि सीधे बैंक खाते में आएगी।
पहली किस्त की तिथि:-सरकार ने कहा है कि पहली किस्त 1 नवंबर 2025 से लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी जाएगी। तय समय-सीमा तैयार कागज़ों की आवेदन के समय ज़रूरी दस्तावेज़ों की तैयारी पहले से करनी चाहिए ताकि प्रक्रिया सुगम हो।
संभावित प्रभाव (Potential Impact):-यह योजना यदि ठीक से लागू हुई तो इसके निम्नलिखित सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं:
आर्थिक सशक्तिकरण
₹2,100 प्रति माह की राशि छोटी हो सकती है, लेकिन रोज़-रोज़ की छोटी-छोटी ज़रूरतों — राशन, दवाई, बच्चों की किताबें, घरेलू खर्च — में बड़ा फर्क कर सकती है। महिलाओं को अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए निर्भर रहने की बजाए हिस्सेदारी का अवसर मिलेगा।
स्वावलंबन और आत्म-सम्मान
जब एक महिला खुद खर्च कर सके, निर्णय ले सके — चाहे वो घर की ज़रूरत हो या बच्चों की पढ़ाई की — तो आत्मसम्मान में वृद्धि होती है। यह सामाजिक मान्यता और परिवार के भीतर उनके योगदान को देखने का नजरिया बदल सकता है।
बेहतर सामाजिक सहभागिता
आर्थिक निर्भरता कम होने पर महिलाएँ सामाजिक गतिविधियों, शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी फैसलों में सक्रिय हो सकती हैं। इससे महिला सशक्तिकरण के सामाजिक आयाम मजबूत होंगे।
गरीबी में कमी
कम आय वाले परिवारों पर यह राशि दबाव कम कर सकती है। यदि अन्य योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा उपायों के साथ संयुक्त हो, तो गरीबी की रेखा नीचे रहने वालों की संख्या घट सकती है।
महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी और जागरूकता
इस तरह की जन कल्याण योजनाएँ सरकारी नीति में महिलाओं के मुद्दों को मुख्य धारा में लाती हैं। इससे महिलाओं में सरकारी योजनाओं, उनके अधिकारों और सार्वजनिक नीति के प्रति जागरूकता बढ़ सकती है।
चुनौतियाँ और जोखिम
किसी भी सरकारी योजना की तरह, लाडो लक्ष्मी योजना को सफल बनाने में कुछ बाधाएँ भी संभव हैं:
डिजिटल विभाजन
दूरदराज इलाकों में इंटरनेट सुविधा, स्मार्टफोन या डिजिटल साक्षरता की कमी हो सकती है। ऐसा होने से आवेदन प्रक्रिया में बाधाएँ आएँगी। कई महिलाएँ संभवतः ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाएँगी।
दस्तावेज़ और वेरिफिकेशन की दिक्कतें
तैयार दस्तावेज़ों की उपलब्धता, प्रमाण की स्वीकार्यता, निवास प्रमाण या आय अनुमानपत्रों में त्रुटियाँ हो सकती हैं। वेरिफिकेशन प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है।
भ्रष्टाचार या मनमानी हस्तक्षेप
लाभार्थियों के चयन, आवेदन प्रक्रिया, दस्तावेज़ सत्यापन आदि में यदि पारदर्शिता न हो, तो गलत लोगों को लाभ मिल सकता है और वाजिबों की उपेक्षा हो सकती है।
निरंतरता और वित्तीय स्थिरता
₹5,000 करोड़ बजट पर्याप्त लगता है, लेकिन यदि यह राशि नियमित रूप से एवं समय पर जारी न हो, तो योजना का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। बजट कटौती, देरी या प्रशासनिक अड़चनें हो सकती हैं।
₹2,100 प्रति माह आज के दायरे में बहुत सारी ज़रूरतों को पूरा नहीं करती — महंगाई, शिक्षा, बड़े-स्वास्थ्य खर्च आदि की तुलना में यह राशि सीमित है। विशेष रूप से यदि परिवार में अन्य महत्वपूण खर्च हों, तो यह अनुकूली नहीं हो सकती।
जानकारी एवं जागरूकता की कमी
योजना के बारे में सही जानकारी हर गाँव, हर पिंड-पिंड तक पहुँचे यह सुनिश्चित करना होगा, अन्यथा लोग पात्र हो कर भी आवेदन नहीं कर पाएँगे। प्रचार-प्रसार और जनसम्पर्क ज़रूरी है।
राष्ट्रीय योजनाएँ: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, महिला स्वयं सहायता समूहों को माइक्रो-उधार, कौशल विकास आदि योजनाएँ भी महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के काम करती हैं। लेकिन ऐसी योजनाओं में लाभ उठाने के लिए अक्सर अधिक प्रारंभिक संसाधन, शिक्षा या संपर्क की ज़रूरत होती है।
राज्यों की विविधता: हर राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, महिला साक्षरता दर, डिजिटल पहुँच आदि भिन्न है। हरियाणा में किसानों की संख्या, ग्रामीण आबादी आदि को देखते हुए यह योजना ग्रामीण इलाकों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
निरंतर भुगतान और नियमित समय सीमा:- हर महीने समय पर राशि पहुँचाना बहुत ज़रूरी है। किसी भी माह की देरी से लाभार्थियों का विश्वास प्रभावित होगा।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएँ:- पंचायतों/स्थानीय सामाजिक समूहों में महिलाओं को योजना के प्रचार-प्रसार, आवेदन की निगरानी आदि में शामिल किया जाए। इससे योजना की पैठ और भरोसा दोनों बढ़ेंगे।लाडो लक्ष्मी योजना एक अच्छा और ज़रूरी कदम है हरियाणा के उन लाखों महिलाओं के लिए जो आज तक आर्थिक समर्थन के बगैर संघर्ष कर रही थीं। इस योजना के माध्यम से सरकार ने एक स्पष्ट संदेश दिया है — महिलाओं की ज़रूरतें महत्व रखती हैं, और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार राज्य की प्राथमिकता है।
लेकिन यह केवल शुरुआत है। योजना सफल तभी होगी जब लाभार्थियों तक समय पर सहायता पहुँचे, आवेदन प्रक्रिया सरल हो, पारदर्शिता बनी रहे और महिलाओं को आत्म सम्मान व स्वावलंबन की अनुभूति हो। सरकारी तंत्र के साथ-साथ समाज, पंचायत और स्थानीय संस्थाएँ मिलकर सुनिश्चित करें कि वह महिला जो सबसे ज़्यादा पीछे हो, उसे भी यह सहारा मिल सके।

