Ram Temple was Possible With These People: दोस्तों आज Ram Mandir का कार्य जोरों शोरों पर शुरू हो चुका है और 22 तारीख को हम श्री राम जी के दर्शन करने भी जा सकते हैं सब लोग बहुत खुश हैं कि राम लला मंदिर में दोबारा से विराज रहे हैं और सभी हिंदू इस तरह खुश हो रहे हैं कि मानो राम जी 14 वर्ष का बनवास पूरा करके वापस अपने महल में आ रहे हैं।
श्री राम मंदिर बनने के के पीछे बहुत से वीर वीरों का नाम है जिनका नाम आज कहीं इतिहास के पन्नों में गुम हो गया है सबको यह तो पता है कि राम मंदिर बनने जा रहा है परंतु बहुत कम ऐसे लोग हैं जो यह जानते हैं कि इस श्री राम के भव्य मंदिर को बनाने के लिए कितने वर्षों की कड़ी मेहनत और बलिदान इसमें शामिल है।
तो आज हम इसी बारे में बात करेंगे कि वह कौन से वीर है जिनकी वजह से यह मंदिर अपने लक्ष्य तक पहुंच पाया जिसमें आज अयोध्या जगमगा उठी है उसमें आधुनिकरण चौड़ी सड़कें, भव्य मंदिर इत्यादि सबका निर्माण हो चुका है चलिए हम जानते हैं उन वीरों के बारे में कि वह कि उन्हें आपको हर राम मंदिर को क्यों जानना आवश्यक है।
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जब बाबर ने श्री राम मंदिर तोड़कर उस पर बाबरी मस्जिद का निर्माण कर दिया था इसके बाद बहुत से हिंदुओं ने प्रयास किया कि दोबारा से वहां राम मंदिर को बनाया जाए पर किसी कारण वंश यह है नहीं हो पाया उसके बाद महंत रविदास जी द्वारा यह मामला 1885 में कोर्ट में ले जाया गया और यह गुहार लगाई की सभी हिंदुओं की आस्था है कि वह चाहते हैं की बाबरी मस्जिद के बगल में ही एक राम मंदिर बनाने का प्रस्ताव रखा पर कोर्ट ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया।
अब दिन आ चुका था 1949 का जिस वक्त भारत आजाद हुआ था और आजादी के बाद सबसे पहले काम यह हुआ की 22 दिसंबर 1949 के को बाबरी मस्जिद के मुख्य प्रांगण में श्री राम जी की एक मूर्ति अवतरित होती है अब यह खबर सभी जगह फैल चुकी थी जिसके बाद यह पूरा आंदोलन शुरू हुआ।
यह थे वह महान जिनके बारे में हर भारतीय को पता होना चाहिए
Baba Abhiram Dass
आपको बता दे कि यह मूर्ति सबसे पहले बाबा अभिराम दास जी ने ही बाबरी मस्जिद के मुख्य परांगन में रखी गई थी इसमें उनका साथ उनके मित्र परमहंस जी देने वाले थे परंतु वह उसे दिन नहीं आए इसलिए बाबा ने अकेले ही यह मूर्ति बाबरी मस्जिद के मुख्य प्रांगण में रखने का निर्णय लिया और यह मूर्ति उन्हें 12:00 से पहले ही रखनी थी क्योंकि उस वक्त सुरक्षा में खड़े कर्मी की ड्यूटी बदली होती थी इसलिए वह दीवार फांदकर वह मूर्ति उन्होंने वहां स्थापित की अगले दिन इस बात का बहुत ज्यादा विरोध हुआ जिसके बाद बहुत से लोगो को गिरफ्तार किया गया जिसमे एक नाम बाबा का भी था।
रामभगत मोरपंथ पिंगले
बताया जाता है कि जब हिंदुओं के लिए राम मंदिर के दरवाजे सबसे पहली बार खुले तब हिंदू परिषद पार्टी का गठन हो चुका था उन्होंने अब इस लड़ाई को लड़ने का निर्णय कर लिया था इसके बाद लगभग 6 करोड लोग सीधे इस मंदिर की लड़ाई को लड़ने के लिए जुड़े जिसमें उनको जोड़ने और इस मुद्दे को एक जन आंदोलन बनाने का प्रमुख कार्य राम भगत मोर पंख पिंगला जी ने किया था अगर यह नहीं होते तो शायद इतनी मात्रा में हिंदू आपस में ना जुड़ पाते।
Deoraha बाबा
1989 में विश्व हिंदू परिषद द्वारा यह घोषणा कर दी जाती है कि वह इस मंदिर का शिलान्यास करेंगे परंतु उस समय की गवर्नमेंट जो कि कांग्रेस थी उसको कोर्ट द्वारा सख्त निर्देश दिए गए थे कि यह शिलान्यास नहीं होना चाहिए परंतु उस समय राजीव गांधी द्वारा यह शिलान्यास फिर भी होने दिया और इसका प्रमुख कारण थे देवराहा बाबा क्योंकि शिलान्यास होने से एक हफ्ता पहले राजीव गांधी देवरहा बाबा से मिलने पहुंचे और उन्होंने उनसे राम मंदिर Issue के बारे में एक Guidance ली इसके बाद देवरा बाबा ने उन्हें यह बोला कि यह जो भी हो रहा है उसे होने दे उसके बाद यह शिलान्यास हो पाया तो इसमें देवरा बाबा का भी बहुत बड़ा हाथ था।
महंत अवैद्यनाथ और पुरा नाथ समाज
महंत वैद्यनाथ ने 1984 में एक समिति जिसका नाम “श्री राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति” का गठन किया जिसमें उन्होंने सबसे पहले यह काम किया की पूर्ण भारतवर्ष में जो छोटी बड़ी संस्थाएं राम जन्मभूमि के लिए लड़ रही थी उन्हें एक करने का कार्य किया और उन्हें एक मंच पर लाने का कार्य महंत वेदनाथ जी ने किया और उन्होंने राजीव गांधी की सरकार को कुछ इस तरह से घेर लिया था कि उनके पास राम मंदिर के दरवाजे खुलवाने के अलावा कोई और चारा नहीं था क्योंकि महंत जी ने लोगों को जागरूक किया कि आप उन नेताओं को वोट दें जो राम मंदिर की बात करते हैं जिसके बाद अनवर बड़ा प्रेशर था और आपको बता दे की महंत वैद्यनाथ जी ने ही “धर्म संसद” और “कार सेवा” का गठन किया था।
स्वामी वामदेव
जब कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे तब उस समय की सरकार ने कार सेवकों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था और बर्बरता इतनी थी की कार सेवकों के मृत शरीर सड़कों पर लथपथ पड़े थे और कुत्ते उन्हें खाने की तक में थे कि कब वह उन शरीरों को वह खा सके तब स्वामी रामदेव जी ने सड़कों पर इधर से उधर कुत्तों को लाठी मार मार कर भाग रहे थे ताकि वह उन पार्थिव शरीरों को ना खा सके।
श्रीश चंद्र दीक्षित
यह एक 1984 में रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर थे जिनका इस लड़ाई में बहुत योगदान रहा है दरअसल बात यह है कि कर सेवको को और प्रदर्शनकारियों को अयोध्या तक पहुंचाना था तब यह प्लानिंग की गई की सभी को उन रास्तों से अयोध्या पहुंचना है जिन रास्तों पर पुलिस नहीं हो सकती है और सबको भेष बदलकर आने के लिए बोला गया और तभी यह सब कुछ संभव हो पाया इसलिए श्रीश चंद्र दीक्षित का कार्य भी सराहनीय रहा है।
दाऊ दयाल खन्ना
दाऊ दयाल खन्ना यह भी एक सच्चे राम भक्त थे जो यूपी में कांग्रेस की सरकार में एक नेता थे जब उन्होंने यह देखा कि उनकी सरकार राम मंदिर मुद्दे पर कोई मदद नहीं कर रही तब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देकर अपना जीवन राम मंदिर को समर्पित कर दिया और लोगों को इस मुहिम से जोड़ने के लिए प्रेरित किया और उन्हें जोड़ने का कार्य किया।
शरद कोठारी और राम कोठारी
जब भी राम मंदिर का नाम आता है तब इन दोनों भाइयों का नाम सबसे पहले लिया जाता है क्योंकि यह दोनों भाई राम मंदिर बनाने के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी बात उन दिनों की है जब 1990 में रामचरण भूमि पहुंचने का आदेश मिला था तब उन्हें यह कार्य भार सोपा गया था कि कोलकाता से उन्हें अपने साथ 69 लोगों की एक टीम को राम जन्मभूमि तक पहुंचना है और जब वह राम जन्मभूमि पर अपनी टीम के साथ पहुंचे तब वहां की पुलिस ने उन पर गोलियां चलाई और यह दोनों भाई राम जन्मभूमि के लिए शहीद हो गए।
Dr Swaraj Prakash Gupta
यह एक आर्कियोलॉजिस्ट थे और जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया तब उसे ढांचे में से एक बड़ा पत्थर निकाला जिस पर संस्कृत भाषा में कुल 20 लाइन लिखी हुई थी उन 20 लाइनों का वर्णन सबके सामने लाने का मुख्य कार्य डॉक्टर स्वराज प्रकाश गुप्ता जी ने किया था इसके बाद लोगों को यह पता चला कि उस पत्थर में एक भव्य विष्णु हरी मंदिर बनाने की बात की गई है।
Dr Harsh Narayan
यह भी एक महान हिस्टोरियन थे जोकि हिंदी, इंग्लिश और अरेबिक भाषा अच्छे से जानते थे जिन्होंने दुनिया के सामने यह सच लाने का एक महान कार्य किया की मुस्लिम इनवेडर्स द्वारा अयोध्या में मंदिर को गिराया गया और उस पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया गया यदि वह मुसलमानों की किताबों में लिखे प्रमाणित बातों को लोगों के सामने ना लेकर आते तो शायद आज यह राम मंदिर बनने में थोड़ा विलंब हो सकता था।
महंत दिग्विजयनाथ, केके मोहम्मद, बी आर ग्रोवर, उमा भारती और कल्याण सिंह जैसे महान आत्माए जिनका नाम आज बहुत ही कम लोग जानते है ऐसे बहुत से नाम है जिन हैं हर हिंदू और राम मंदिर का सपोर्ट करने वालों को जरूर पता होना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति अपनी हिस्ट्री को भूल जाता है वह एक दिन खुद हिस्ट्री बनकर रह जाता है।
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