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DOPING TEST : जब कोई भी खिलाड़ी गैर कानूनी तरीके से खेल को जीतना चाहता है तो वह अपने शरीर के अंदर कुछ दवाइयों को लेता है जिससे उसके अंदर अधिक एनर्जी मिलती है दूसरे खिलाड़ियों के मुकाबले इस प्रकार खिलाड़ी आसानी से अपना गेम जीत जाता है तथा अच्छा प्रदर्शन करता है अपने खेल में. तो सामान्य शब्दों में ऐसे खिलाड़ियों में DOPING TEST किया जाता है.
खिलाड़ी कई तरीकों से DOPING करते हैं
1.पहला तरीका यह है कि वह steriods लेता है जिससे उसकी मसल्स स्ट्रांग या शक्तिशाली हो जाती है.
2. दूसरा तरीका खिलाड़ी नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं जैसे नारकोटिक ड्रग.
3. तीसरी बात जब किसी खेल में दर्द ज्यादा होता हो तो वह दर्द को कम करने वाली दवाई को ले लेता है. इससे उसको दर्द महसूस नहीं होता है.
4.अपने से कम उम्र के लोगों का खून ले लेना जिससे उनके खून में हीमोग्लोबिन ज्यादा होती है जिससे खिलाड़ी खेल जीत जाते हैं.
Dope test कैसे होता है ?
किसी भी खिलाडी का डोप टेस्ट कभी भी हो सकता है जब शक होता है चाहे खेल से पहले या खेल जीतने के बाद लेकिन होता जरूरत है.इसमें सबसे पहले खिलाड़ी के URINE (पेशाब) का टेस्ट लिया जाता है और उसको जांच के लिए लैब में भेज दिया जाता है. इसके द्वारा 10 प्रकार के नशो का पता किया जा सकता है जैसे कोकीन , नींद की गोलियां, हेरोइन इत्यादि. खास बात यह है कि इस की रिपोर्ट 5 या 10 मिनट में आ जाती है.
सबसे मुख्य खास बात यह है कि यह एक साधारण सा तरीका होता है और हर चीज की एक सीमा होती है इसका परिणाम 90% तक सही होता है लेकिन जो व्यक्ति नशा करता है उसका इस टेस्ट में पता लग ही जाता है ऐसा नहीं कि जो नशा कर रहा है उसका परिणाम सही नहीं आएगा.
Lab दो प्रकार की होती है
1. NADA :- National Anti-Doping Agency यह दिल्ली में होती का है.
2. WADA :- WORLD ANTI DOPING AGENCY यहां हर जगह पाई जाती है.
आपको बता दें कि यदि खिलाड़ी को खाने में कुछ मिला कर दे दिया गया हो तो खिलाड़ी भी टेस्ट करवा सकता है यानी कि दोबारा से वह अपने डोपिंग टेस्ट करवा सकता है.
DOPING TEST करने वाले खिलाड़ी को सजा
यदि कोई खिलाड़ी डोपिंग टेस्ट में पास पाया जाता है तो उसे जीवन भर के लिए बैन कर दिया जाता है . 2 साल की सजा तथा जुर्माना भी लगता है साथ में.