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Electoral Bonds kya hota hai और SBI से कैसे खरीदें

वर्तमान समय में देश में Electoral Bonds या चुनावी चंदा चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां हम जानने का प्रयास करें कि आखिर Electoral Bonds kya hota hai और SBI से कैसे खरीदें? यदि आपको भी नहीं पता तो इस आर्टिकल से वो सभी जानकारी मिल जाएगी जो आपके लिए जानना अति आवश्यक है।

मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉण्ड पर पाबंदी लगा दी है और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को कहा है कि आपसे जिस-जिस ने भी Electoral Bonds खरीदा है उसकी जानकारी चुनाव आयोग को दें।

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इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने SBI BANK को एक निश्चित समय दिया। अभी इस मामले की सुनवाई कोर्ट में 13 मार्च को होनी है। लेकिन अभी तक बैंक ने इलेक्टोरल बॉण्ड की जानकारी Election Commission को नहीं दी है।

इलेक्टोरल बॉण्ड क्या होता है| Electoral Bonds kya hota hai

Electoral Bonds को सरकार 2017-18 में सरकार लेकर आई थी। इसके अनुसार अब तक यानी 2022 तक सबसे अधिक बीजेपी, दूसरे नंबर पर कांग्रेस और तृणामूल पार्टी को मिला है।

Electoral Bonds एक प्रकार का कूपन की तरह एक Affidavit की तरह होता है। जो एसबीआई की कुछ मुख्य ब्रांचों से ही खरीदा जाता है। जो भी आदमी या कंपनी किसी पार्टी की विचारधारा से प्रभावित है और वह उस पार्टी को चुनावी चंदा देना चाहता है तो उसके लिए उसको बैंक से इलेक्टोरल बॉण्ड खरीदना होता है।

इसकी समय अवधि केवल 15 दिन तक ही होती है। इस समय अंतराल में उस व्यक्ति या कहे कंपनी को वह चुनावी चंदे का कागज राजनीतिक पार्टी को देना होता है। उसके बाद वह पार्टी उस इलेक्टोरल बॉण्ड को बैंक में जमा करवा देती है और पैसा पार्टी के खाते में चला जाता है।

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सबसे अहम बात यदि इस 15 दिन के अंदर ऐसा करने में राजनीतिक दल बैंक में इलेक्टोरल बॉण्ड जमा करवाने में असफल होता है तो वह पैसा सीधे पीएम केयर फंड (PM CARE FUND) में चला जाता है।

आपको बता दें कि Electoral Bonds के द्वारा किसी भी व्यक्ति की जानकारी जनता के सामने नहीं आती कि कब और किस व्यक्ति न खरीदा है और किस पार्टी को दिया है। खास बात यह आरटीआई के दायरे में भी नहीं आता है। लेकिन Electoral Bonds पर एक सीरीयल नंबर होता है जिसके माध्यम से एसबीआई को पता होता है कि किस व्यक्ति ने इसको खरीदा है।

Electoral Bonds कितने-कितने के और कब खरीदे जाते हैं

यदि आप भी किसी Political Party की आर्थिक मदद करना चाहते हैं तो आपको यह जानना जरूरी होगा कि इलेक्टोरल बॉण्ड साल में कब- कब खरीद सकते हैं और अधिकतम और कम से कम कितना होता है।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की साल में इसके लिए चार बार शाखा 10-10 दिन के लिए खुलती है। 1 से 10 जनवरी तक, 1 से 10 अप्रैल, 1 से 10 जुलाई,1 से 10 अक्टूबर तक होता है। अब दूसरा सवाल बनता है कि इसको हम कितने तक का ले सकते हैं। Electoral Bonds 1 हजार रुपए, 10 हजार, 1 लाख, 1 करोड़ तक का खरीद सकते हैं।

Electoral Bonds की कुछ खामियां जिससे Supreme Court ने इस पर कसा शिकंजा

हर चीज का जहां कुछ फायदा होता है वहीं दूसरी तरफ उसका नुकसान भी होता है। हालांकि जब Electoral Bonds संसद में लाकर पास किया गया तो किसी भी पार्टी ने इसका विरोध नहीं किया। समय के साथ- साथ इसकी खामियां भी उभर कर सामने आ रही है।

  • पहले यह था कि कोई भी व्यक्ति या पार्टी अपन Profit का 7.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं दे सकते थे लेकिन अब इलेक्टोरल बॉण्ड से ऐसी कोई पाबंधी नहीं है अब जितना चाहे आप पार्टी को फंड दे सकते हैं।
  • पहले Revenue का 10 प्रतिशत हिस्सा ही राजनीतिक दल को दिया जा सकता था लेकिन अब यह लीमिट भी समाप्त हो गई।
  • तीसरी सबसे बड़ी खामी कि जो कंपनिया घाटे में चल रही थी वो भी चुनावी चंदा देने लग गई।
  • चौथी खामी इसकी यह थी जो सुप्रीम कोर्ट को सबसे अधिक खटकी कि सेल कंपनी भी चुनावी चंदा दे सकती है। page refresh for the more information…

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