हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म माना जाता है और इस धर्म में बहुत सी ऐसी पौराणिक कथाएं और पूजा विधियां भी है जोकि आज के युग में भी जिनका पालन किया जाता है उन सबमें से एक है रुद्राभिषेक।
इस विधि को भगत खुद को अपने इष्ट देव से जोड़ने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए करते है क्युकी भारतीय संस्कृति में हर चीज के होने का कुछ न कुछ महत्व जरूर माना जाता है वैसे ही इस रुद्राभिषेक विधि के होने का भी बेहद लोकप्रिय महत्व माना जाता है जिसे हम आगे के लेख में अच्छे से जानेंगे की
- रुद्राभिषेक क्या होता है।
- रुद्राभिषेक कितने प्रकार का होता है।
- रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है।
- रुद्राभिषेक कब किया जाता है।
- रुद्राभिषेक कैसे किया जाता है।
ऐसे ही बहुत से सवाल जोकि हमे और एक भगवान में विश्वास रखने वाले व्यक्ति को जरूर पता होनी चाहिए क्योंकि भगवान से खुद की आत्मा को जोड़ने के लिए आपको स्प्रिचुअलिटी की दुनिया में अपना कदम जरूर रखना होगा तभी आप भौतिक दुनिया और आत्मिक दुनिया के अंतर को समझ पाएंगे चलिए अब बात करते है की रुद्राभिषेक क्या होता है और यह क्यों किया जाता है
रुद्राभिषेक क्या होता है
रुद्राभिषेक एक पुरानी पूजन विधि है जोकि भगवान शिव के लिए की जाती है ताकि भगवान शिव उन पर कृपा, शांति और समृद्धि की दया प्रदान करे यह विधि एक शिव भगत के द्वारा अपने जीवन में ध्यान और उन्नति की दिशा में आगे बढ़ने के लिए की जाती है।
इसमें किसी सोमवार के दिन शिव के भगत द्वारा शिव की आराधना कुछ मंत्रो और विधियों द्वारा की जाती है जिसमे वह रुद्राभिषेक के लिए बहुत सी वस्तुओ का इस्तेमाल किया जाता है जैसे दूध, घी, गंगाजल, फूल, दीप, कपड़ा, फल इत्यादि को अर्पण कर शिव भगवान की महिमा का गुणगान किया जाता है।
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रुद्राभिषेक कितने प्रकार के होते है
रुद्राभिषेक निम्नलिखित प्रकार के होते है जिनके बारे में आपने अपने बड़ों से जरूर सुना होगा या उन्हें इस पूजा विधि को करते देखा होगा।
एकादश रुद्राभिषेक : इसके नाम से ही आप इस प्रकार के बारे में समझ गए होगे इसमें भगवान शिव के एकादश रूपों की पूजा एकादश रुद्र मंत्रो के द्वारा सम्पन्न की जाती है और यह पूजा केवल महाशिवरात्रि और सोमवार के विशेष दिन पर ही की जाती है।
पंचमुख रुद्राभिषेक: इसमें भी भगवान शिव के पंचमुख रूपों का पांच रुद्र मंत्रो के द्वारा पूजन किया जाता है
महारुधराभिष: यह महा रुद्राभिषेक एक बहुत ही बड़े पैमाने पर की जाने वाली पूजा होती है जिसमे बहुत से ब्राह्मण को पूजा सम्पन्न करने के लिए बुलाया जाता है जिसमे कुछ शक्तिशाली मंत्र और बहुत सी चीजे जैसे दूध, फल, घी इत्यादि से यह पूजा की जाती है।
अति रुद्राभिषेक: जब भी आप एक रुद्राभिषेक पूजा विधि का नाम सुनेगे तब आपको इस विधि के बारे में जरूर बताया जाएगा क्युकी यह इन सभी रुद्राभिषेक विधियों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली मानी गई है जिसमे 1331 बार रुद्र मंत्रो का जाप बहुत से ब्राह्मणों के द्वारा किया जाता है जिसमे बाकी विधि दूसरी विधियों की तरह संपन्न की जाती है।
रुद्राभिषेक करने के क्या क्या फायदे होते है
भगवान को जब भी कोई भगत कुछ भी अर्पण करता है या उनकी महिमा का गुणगान किसी भी रूप में करता है तब वह भगत अपनी आंखो के सामने खुद की जिंदगी को बदलता देखता है और यदि हम इस रुद्राभिषेक जैसी कोई पूजा का आयोजन करे तब समझिए यह आपके जीवन को आध्यात्म के रास्ते पर चलना और आसान बना देता है ऐसे ही बहुत से फायदे है जोकि इस प्रकार के है:
- जब भी आपको आपके जीवन में आत्मिक रूप से शांति की स्थापना करना चाहते है तब यह रुद्राभिषेक उस रास्ते को शुद्ध और ध्यान को मजबूत करने का कार्य करता है।
- रुद्राभिषेक को सही ढंग से करने पर आपको शिव भगवान की कृपा जल्द से जल्द मिलती है और आपके जीवन का कल्याण होना तय है।
- रुद्राभिषेक को सही प्रक्रिया सहित करने और शिवजी की महिमा का गुणगान करने मात्र से आपको संतान सुख प्राप्त होता है।
- यदि आपके घर की भी सुख और शांति कही दूर चली गई है तब घर में शिव जी को यह रुद्राभिषेक करना आपके घर की सुख और शांति को वापिस लाने में अति महत्त्वपूर्ण है।
- यदि आप भी इस दुनिया में सांसारिक सुखों के पीछे भाग रहे है और जीवन में कुछ भी स्थिर नहीं है तब यदि आप शिव भगवान की पूजा कर उनका रुद्राभिषेक करते है तब आप सांसारिक परेशानियों से मुक्ति पा सकते है।
रुद्राभिषेक कब किया जाता है
वैसे इस रुद्राभिषेक प्रक्रिया को हर दिन कर सकते है परंतु हिंदू धर्म में यह मान्यता है की यदि आप किसी विशेष पूजा प्रक्रिया को उसके निर्धारित दिन पर करते है तब उसके सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है चलिए जानते है वह कौनसे वक्त है जब हम यह रुद्राभिषेक की प्रक्रिया को पूर्ण कर सकते है।
हम यह रुद्राभिषेक की पूजा प्रक्रिया को महीने के किसी भी सोमवार के दिन कर सकते है क्युकी सोमवार का दिन भगवान शिव जी का दिन माना गया है इसीलिए यदि आप सोमवार को ही यह रुद्राभिषेक करते है तब आपके लिए बढ़िया माना जायेगा।
रुद्राभिषेक की इस पूजा पद्धति को यदि हम महा शिवरात्रि के दिन पूर्ण करते है तब इस पूजा का लाभ आपको जल्द से जल्द देखने को मिलता है क्युकी महाशिवरात्रि को एक काफी बड़ा पर्व माना गया है
यह रुद्राभिषेक हम पूर्णिमा या अमावस्या के दिन भी कर सकते है यह भी आप हर महीने पूर्णिमा या अमावस्या के दिन कर सकते है।
श्रवण मास या सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए अति लाभकारी समझा गया है इसीलिए यदि आप इस सावन के महीने में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करते है और इस रुद्राभिषेक की प्रक्रिया करते है तब हर सोमवार को किया गया रुद्राभिषेक आपके जीवन को अंदर से ठीक करने में अपना योगदान कई गुना ज्यादा बढ़ा देता है।
शिवजी का रुद्राभिषेक कैसे करे
शिवजी का रुद्राभिषेक करना कोई अलग तरह की पूजा नही है इसमें आपको जैसे किसी भी भगवान की हम लोग पूजा करते है वैसे ही आपको इस रुद्राभिषेक पूजा प्रक्रिया को पूर्ण करना है जिसमे आपको पूजा में शामिल की जाने वाली कुछ जरूरी चीज जैसे दूध, घी, चंदन, फूल, वस्त्र, धूप इत्यादि को शामिल करके नियमानुसार शिवजी की पूजा करनी है इसमें आप इन सभी स्टेप्स को फॉलो कर सकते है।
- सबसे पहले आप जिस स्थान पर पूजा करने वाले है वहा की सफाई अच्छे से कर ले।
- अब पूजा में भगवान शिव की कोई मूर्ति या शिवलिंग की स्थापना करे और पूजा स्थल को अच्छे से सजाए।
- अब आप शिवलिंग को आपको गंगाजल या साफ पानी से स्नान करवाना है और उनकी मंत्रो इत्यादि से अर्चना करे।
- अब आपको शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति को अभिषेक करना है और शिवलिंग पर गंगाजल युक्त पानी या दूध युक्त पानी की धारा को शिवलिंग पर अर्पित करना है।
- अब आप एक दिया जलाए और चंदन से तिलक कर शिवलिंग और मूर्ति पर फूल चढ़ाए और उन्हें फल इत्यादि उनको अर्पण करे।
- अब आपको हाथ जोड़ कर उनके नाम का ध्यान लगाना है जिसमे आप ॐ नमः शिवाय जैसे मंत्रो का उच्चारण करना है।
- आप आपको उनसे प्रार्थना करनी है और फिर उनकी आरती करनी है और उनके दर्शन करने है।
- अब आप पूजा पूर्ण होने के बाद प्रसाद का भोग लगाकर बाकी आस पास के लोगो में बांट दे।