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Khashaba Dadasaheb Jadhav Google Doodle : आजाद भारत में पहला मेडल जीता लेकिन जीवन काल में पद्म पुरस्कार नहीं मिला! जानिए कौन थे केडी जाधव

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चंडीगढ़,(अश्मिता तिवारी): Khashaba Dadasaheb Jadhav जिन्हे केडी जाधव या खासाबा दादासाहेब जाधव के नाम से भी जाना जाता है। केडी जाधव का जन्म आज के दिन यानी 15 जनवरी 1926 को महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में हुआ था. खासाबा दादासाहेब जाधव अपने समय के कुश्ती के एक दिग्गज खिलाड़ी थे। आज गूगल डूडल बनाकर भारत के ऐसे खिलाड़ी की 97 जयंती मना रहा है।

Khashaba Dadasaheb Jadhav दूसरे पहलवानों से अलग

केडी जाधव दूसरे पहलवानों से हटकर थे। यह उस समय का दौर था जब भारत आजाद हुआ था तो भारत के इकलौते पहलवान केडी जाधव ने ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में कुश्ती के खेल में अपने प्रतिद्वंदी को हराकर कांस्य पदक जीतकर भारत की झोली में डाला था। KD Jadhav दूसरे पहलवानों की तरह हट्टे कट्टे भी नहीं थे। इनकी हाइट 5 फुट 5 इंच थी।

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लेकिन इसके बावजूद भी इनके आगे बड़े से बड़ा पहलवान रुक नहीं सकता था। केडी जाधव की 10 वर्ष की आयु में ही कुश्ती में रुचि हो गई थी और अपने पिता से कुश्ती के सारे गुर सिख लिए थे। जिसका उन्होंने आगे जाकर अपनी कुश्ती की लाइफ में बहुत फायदा हुआ।

Khashaba Dadasaheb Jadhav की जिंदगी में आया ऐसा मोड़ की जिससे पूरा करियर बदल गया

ओलंपिक में व्यक्तिगत पदक जीतने वाले खशाबा दादासाहेब जाधव स्वतंत्र भारत के पहले एथलीट थे। उन्होंने हेलसिंकी में 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में रेसलिंग में कांस्य पदक जीता था। दुखद ये है घुटने की चोट के कारण हेलसिंकी ओलंपिक में जीत के बाद जाधव अपने कुश्ती करियर को जारी नहीं रख सके। बाद में उन्होंने एक पुलिस अधिकारी के रूप में काम किया।

Khashaba Dadasaheb Jadhav को जीवनकाल में नहीं मिला पद्म पुरस्कार

केडी जाधव भारत के एकमात्र ओलंपिक पदक विजेता हैं जिन्हें कभी पद्म पुरस्कार नहीं मिला। इस दिग्गज खिलाड़ी की 14 अगस्त 1984 को मौत हो गई। महाराष्ट्र सरकार ने मरणोपरांत छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया। 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के लिए कुश्ती स्थल का नाम भी उनके सम्मान में रखा गया।

कुश्ती में उनके योगदान के लिए उन्हें 2000 में मरणोपरांत अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन इन सबके बावजूद भी एक बात हमेंशा खटकती है कि उन्हे कभी पद्म पुरस्कार नहीं मिला।

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