Shri Ram Mandir Pran Pratishtha: श्री राम लला अपने महल में कल विराजमान हो जाएंगे और इस बात को लेकर सभी तैयारियां भी हो चुकी है अभी हाल ही में आपने राम मंदिर के बारे में अनेकों बातें इंटरनेट और टीवी पर देखी होगी।
जिनमे राम मंदिर से संबंधित उनके मंदिर के बारे में, अन्य मूर्तियों, सजावट और राम जी की मूर्ति स्थापना के बारे में बहुत सी बातें आपने जानी होंगी और अभी हाल ही में मूर्ति स्थापना दी हुई है जिसमें मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई है।
यह प्राण प्रतिष्ठा को करने के लिए हमारे वेदों और पुराणों में बहुत से स्टेप्स के बारे में लिखा हुआ है कि यदि किसी भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में करवानी है तो हमें इन स्टेप्स के द्वारा ही वह मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करनी है तभी वह मान्य होगी तो क्या है वह सभी स्टेप्स चलिए जानते हैं।
किन चरणों में होती है प्राण प्रतिष्ठा
- शोभायात्रा
- अधिवास
- जलाभिषेक
- आंखे खोलना
- मूर्ति स्थापना
इन सभी स्टेप्स को हम अच्छे से समझेंगे ताकि हमें यह पता चल जाए की किसी भी मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठता आखिरकार कैसे होती है चलिए इन सभी स्टेप्स को अच्छे से जानते हैं
शोभा यात्रा
इसमें मंदिर में स्थापित की जाने वाली मूर्ति को रथ पर आस पास की जगह पर भ्रमण करवाया जाता है जिस जगह में वह मूर्ति स्थापित होनी है जैसे श्री राम जी की मूर्ति को अयोध्या में रथ पर बैठ कर एक राजा के समान उन्हें भ्रमण करवाया गया था ताकि भगवान श्री राम भी अपनी प्रजा को जान सके और उनके साथ वाकिफ हो सके इस शोभा यात्रा के समय लोग गीत गाते हैं, नाच गान करते हैं और काफी हर्ष उल्लास से वह शोभायात्रा निकाली जाती है।
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अधिवास
इस चरण में मूर्ति को अलग-अलग चीजो से जोड़ने की कोशिश की जाता है इसमें आपको दो प्रकार के अधिवास देखने को मिलेंगे सबसे पहला है जल अधिवास और दूसरा है धान्य अधिवास पहले चरण यानी जल अधिवास में एक रात के लिए मूर्ति को पानी में रखा जाता है और दूसरे चरण में मूर्ति को अलग अलग अनाज इत्यादि में रखा जाता है यह अधिवास इसीलिए किया जाता है कि शिल्पकार द्वारा मूर्ति को बनाया गया है जिसमें यह समझा जाता है कि शिल्पकार के औजार से उस मूर्ति को जो भी चोट इत्यादि लगी हो उसको हील करने के लिए यह अधिवास किया जाता है।
जलाभिषेक
जलाभिषेक में मूर्ति को 108 अलग-अलग चीजों जैसे पंचामृत, जल, दूध, दही, फूलों का इत्र, फूल, पत्ते इत्यादि जैसी चीजों से स्नान करवाया जाता है ताकि शुद्धिकरण हो सके और इसमें उस मूर्ति पर गाय के सींग में जल भरकर उनको नहलाया जाता है तब जलाभिषेक की यह प्रक्रिया पूरी होती है। इसमें एक खास चीज जो की गन्ने का रस है उसे भी इस जलाभिषेक की प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाता है।
मूर्ति की आंखों को खोलना
जब श्री राम जी की यह मूर्ति मंदिर में लाई गई तब उनकी आंखों पर एक पट्टी बंधी हुई थी जो की प्राण प्रतिष्ठा से पहले जरूरी है बाद में इन्हीं सभी स्टेप्स को मानकर उनकी आंखों से यह पट्टी खोली गई इसका मतलब यह है कि अब भगवान की मूर्ति जो कि इतने दिनों से परेशानी में थी अब उन्हें एक रिलीफ देने का कार्य किया जाएगा जिसमें उनकी आंखें, कान और उनके दिमाग को मंत्र जाप करके जागृत किया जाएगा जिससे वह भक्तों की सभी बातों को देख सुन और समझ सके।
मूर्ति स्थापना
प्राण प्रतिष्ठा का यह एक अंतिम चरण है जिसमें मूर्ति स्थापना कर दी जाती है जिसके बाद लोगों को भगवान के दर्शन करने के लिए मान्य कर दिया जाता है इससे पहले किसी भी व्यक्ति का उस मूर्ति का दर्शन नहीं करने दिया जाता और राम जी की मूर्ति स्थापना में भी इन्हीं सभी स्टेप्स का उपयोग किया गया है।
यदि आप प्राण प्रतिष्ठा के पावन अवसर पर मंदिर में मौजूद हूं तो यकीन मानिए यह आपके जीवन का सबसे अच्छा समय माना जा सकता है क्योंकि आपको चारों तरफ पॉजिटिव बेटी और भक्ति में वातावरण महसूस होगा जिससे आप सम्मोहित हो जाएंगे।
क्या मंदिर पूरा होने से पहले प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है?
“मंदिर पूरा नहीं है और यह प्राण प्रतिष्ठा नही हो सकती “यह प्रश्न अपने इंटरनेट और टीवी पर बहुत से लोगों के मुंह से सुना होगा बड़े-बड़े विद्वान इस प्राण प्रतिष्ठ पर सवाल उठाते नजर आ रहे थे और इसका जवाब है हां प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है इसमें एक अहम बात यह है कि मंदिर चाहे पूरा हो या ना हो इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए सिर्फ मंदिर में वह स्थान जिसे गर्भ ग्रह बोलते हैं यदि वह पूरा हो चुका है तो वहां मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है गर्भ ग्रह जगह का पूरा होना जरूरी है जो की श्री राम मंदिर में पहले ही पूरा हो चुका था इसलिए यह प्राण प्रतिष्ठा बिल्कुल सही ढंग से करवाई गई है।